Wing Up

Wing Up
●●●

Saturday, 14 June 2014

||| प्रतिवाद |||

कभी पीता नहीं हुँ,
होश में फिर भी रहता नहीं मैं,

सपनो में खोया रहूँ हमेशा,
पर सोता भी कहाँ हुँ मैं,

सामने दिखती है मंज़िल धुंदली,
रुका हुआ हुँ पर चलता नहीं हुँ मैं,

आशाएं लिए लाखों इस जहाँ में,
मगर पल बचे ही नहीं यहाँ मेरे,

लोभ में प्यार के फिरता हुँ,
ऐतबार है नहीं रिश्तों पे मगर मुझे,

बेमोल सा फिरता हुँ हर कहीं,
हर लम्हा बिकता हुँ इसी शहर में मैं,

झुकना सीखा ही नहीं किसी मोड़ पे,
पर सर कटाने को डरता भी हुँ मैं,

जुबान पे एक ताला सा है,
पर चुप रहता नहीं हुँ मैं ||

2 comments: