नहीं। बिलकुल नहीं। मुझे कभी भी इस बात पर ज़रा भी शक नहीं था की मैं जब भी लिखूंगा हिंदी में ही लिखूंगा। ऐसा नहीं है की मैं इंग्लिश में लिख नहीं सकता या अपनी भावनाएं नहीं प्रकट कर सकता, मैं बस ये अपने दिमाग के लिए कर रहा हूँ। हाँ , आप सही सोच रहें हैं की यहाँ तो ' दिल ' होना चाहिए था, लेकिन विश्वास मानिए ऐसा करने पर ये एक अलग ही ज्वलनशील मुद्दा बन जाएगा।
मुझे बस उन बुद्धिजीवियों से ज़रा परहेज है जो इंग्लिश की किताबें लेकर सिर्फ इसलिए सफ़र करते हैं जिससे दुसरे उन्हें देखकर बुद्धिजीवी समझने लगें। भईया !!! कोई इन्हें समझाए की दुसरे आपसे बड़े वाले हैं। उन्हें तो ये भी नहीं पता होता की 'बुद्धिजीवी' दिखने क लिए किताब कौन सी ढोते हैं।
आपने भी ना मालिक , पता नहीं किस मुद्दे में फंसा दिया मुझे।
मैं तो बस बोलने में ही विश्वास रखता था। मुझसे कहा गया की ज़नाब लिखा कीजिए, जोर पड़ता है। मैंने बहोत समझाने की कोशिश की, की भाईसाब ज़रा उस सरकारी मुलाजिम से यही बात कहिये की चचा जो मांग रहें हैं ज़रा लिख कर दिजिगा, तब आपको इस बात की गहराई का अंदाजा होगा।
फिर भी ये इन्सान चुकी काफी करीबी थे तो मैंने लिखना शुरू कर ही दिया। पर लिखूं किस बारे में। मैं तो ठहरा मासूम सा सिविल इंजिनियर, लिखता भी तो क्या ... हमारी किताबें तो चुने पत्थर , मिट्टियों और एक अदद गन्दगी से भरी होती हैं। तो मैंने सोचा की भाई साहब से ही पूछ लिया जाए।
जवाब थोडा सहमा देने वाला था, जवाब आया -- "सामाजिक गन्दगी को रोक न सही पर चूने पत्थर जैसे बुधिजिवियों को जागरूक कर सामजिक दीवार तो खड़ी कर ही सकते हो।" नहीं ...नहीं ... परेशान मत होइये ..ये सुन कर मैं बेहोश नहीं हुआ।
मुझे बस उन बुद्धिजीवियों से ज़रा परहेज है जो इंग्लिश की किताबें लेकर सिर्फ इसलिए सफ़र करते हैं जिससे दुसरे उन्हें देखकर बुद्धिजीवी समझने लगें। भईया !!! कोई इन्हें समझाए की दुसरे आपसे बड़े वाले हैं। उन्हें तो ये भी नहीं पता होता की 'बुद्धिजीवी' दिखने क लिए किताब कौन सी ढोते हैं।
आपने भी ना मालिक , पता नहीं किस मुद्दे में फंसा दिया मुझे।
मैं तो बस बोलने में ही विश्वास रखता था। मुझसे कहा गया की ज़नाब लिखा कीजिए, जोर पड़ता है। मैंने बहोत समझाने की कोशिश की, की भाईसाब ज़रा उस सरकारी मुलाजिम से यही बात कहिये की चचा जो मांग रहें हैं ज़रा लिख कर दिजिगा, तब आपको इस बात की गहराई का अंदाजा होगा।
फिर भी ये इन्सान चुकी काफी करीबी थे तो मैंने लिखना शुरू कर ही दिया। पर लिखूं किस बारे में। मैं तो ठहरा मासूम सा सिविल इंजिनियर, लिखता भी तो क्या ... हमारी किताबें तो चुने पत्थर , मिट्टियों और एक अदद गन्दगी से भरी होती हैं। तो मैंने सोचा की भाई साहब से ही पूछ लिया जाए।
जवाब थोडा सहमा देने वाला था, जवाब आया -- "सामाजिक गन्दगी को रोक न सही पर चूने पत्थर जैसे बुधिजिवियों को जागरूक कर सामजिक दीवार तो खड़ी कर ही सकते हो।" नहीं ...नहीं ... परेशान मत होइये ..ये सुन कर मैं बेहोश नहीं हुआ।
सबसे पहले तो मुझे थोड़ी हंसी आई " बुद्धिजीवी " सुन कर। फिर जैसे तैसे हसी रोक कर, ऑंखें खोलने का नाटक करते हुए कहा - भईया थोडा ज्यादा नहीं हो गया? मतलब इस भाषा में बात ही कौन करता है आज क ज़माने में। 60 से ऊपर उठ चले हो क्या च्चा ! ये लाइने तो अब ट्रेन के जनरल डब्बो में बैठे मंहगाई से पीड़ित गरीब तबके के लोग भी इस्तेमाल नहीं करते भाई । तू कहाँ से आया है।
अरे इन्हें कोई तो बताओ की हम उस युग के बन्दे हैं जो शक्तिमान की छोटी मगर मोटी बातों को कबका भूल गया है, ये तो दोपहर की पहली किरण Barney Stinsion की नज़रों से देखता हैं। इनके सामने Metallica को Metal कहने की जुर्रत न करिएगा, ये आपके हलक से जबान निकल लेंगे। वो अलग बात है की उन्हें 'मिले सुर मेरा तुम्हारा ' के गायक का नाम भी नहीं पता होगा, अरे लेकिन इत्ता पुराना गायक ... याद कौन रखे भईया और भी बहोत काम हैं।
अरे आप तो अभी भी मुश्कुराए जा रहे हैं। देखिये आप मुझे नर्वस कर रहे हैं , पता नहीं क्यूँ, लेकिन कर रहे हैं।
अरे इन्हें कोई तो बताओ की हम उस युग के बन्दे हैं जो शक्तिमान की छोटी मगर मोटी बातों को कबका भूल गया है, ये तो दोपहर की पहली किरण Barney Stinsion की नज़रों से देखता हैं। इनके सामने Metallica को Metal कहने की जुर्रत न करिएगा, ये आपके हलक से जबान निकल लेंगे। वो अलग बात है की उन्हें 'मिले सुर मेरा तुम्हारा ' के गायक का नाम भी नहीं पता होगा, अरे लेकिन इत्ता पुराना गायक ... याद कौन रखे भईया और भी बहोत काम हैं।
अरे आप तो अभी भी मुश्कुराए जा रहे हैं। देखिये आप मुझे नर्वस कर रहे हैं , पता नहीं क्यूँ, लेकिन कर रहे हैं।
well well !! agar mujhe hindi me type karna aata to mai zarur karti..but dude this is really good..waiting for the next one ! :D
ReplyDeletewell thought of and well expressed!!!keep it up!!
ReplyDeletethanx..its new blog "chat box" u can read dat.. il expect ur comments..
Delete:)
abe end me ye line to likh deta" yaha likhi gyi sari baatein kaalpnik hai, inka kisi jivit vastu ya insaan se koi talluk nahi hai... bas aaj meri dimag ki thodi hati to mene yaha ye durghatna ghata di...
DeleteGood thought of and well expressed...
ReplyDeletekeep it up .........
& best of luck for next blog.
just a small suggestion, if you write the title in hindi itself.
ReplyDeletethanks for ur comments and suggestion.. i just like to ask u ..why the title should b in hindi ??
DeleteThis one was best among all..
ReplyDeleteGood Job beta..