O..NO.NO.NO….Nope… मैं
कैसे !! मैं इतना छोटा हूँ अभी. इतना अपरिपक्व. मैं, मेरे विचार ना तो इतने विस्तृत हैं और ना ही अनुभवी
की मैं इस बारे में कुछ लिख सकूँ.
ये ही
जवाब था मेरा (और शायद आपका भी ) जब मुझसे किसी दोस्त ने कहा ... "भगवान् के
बारे में लिखो."
मजाक है
क्या उसके बारे में लिखना जिसे मैं मानता भी हूँ और नहीं भी. जनता भी हूँ और नहीं भी.
उसके
बारे में लिखना जो वस्तु भी है और भावना भी. विश्वास भी है और अंध-विश्वास भी. जिसे आप मूर्ति माने ना माने आपकी श्रधा में कोई कमी नहीं आती. जिसे हम
दुःख में भी उतना ही याद करते हैं जितना सुख में. क्या लिख सकता था मैं उसके बारे में.
मैंने
उसे हमेशा एक 'सिक्के' की तरह माना है. जो खुद में दो पहलु लिए होता है. लाभ भी और हानि भी. सुख भी
और दुःख भी. खूबसूरती भी और बदसूरती भी. वो किसी एक पहलु का ना तो चयनकर्ता है और ना ही उत्तरदायी.
हमें कई
बार भ्रम हो जाता है की हमारे साथ जो अच्छा हो रहा है वो ऊपर बैठा कोई इश्वर कर
रहा है. वहीँ जैसे ही हमारे साथ कोई
बुरा होता है हमारा विश्वास कम होने लगता है. मुझे नहीं लगता की उसपर आपके कम या ज्यादा विश्वास का कोई फर्क पड़ता होगा. अगर कोई है जिसपर फर्क पड़ता है, तो वो हम हैं.
जब हम
कोई काम इस उम्मीद से करते हैं की कोई है जो हमारा साथ दे रहा है, कोई है जो हमारे साथ कोई बुरा नहीं होने देगा. उस वक़्त हम सिर्फ खुद को ही नहीं अपने आसपास के
सभी जीवित और निर्जीव चीज़ों में एक पॉजिटिव एनर्जी दे रहे होते हैं. वो
एनर्जी जो हमारी ही बने होती है हमारे ही लिए. इसका उल्टा अगर हम लेते हैं. हम अपने दिन की शुरुआत किसी नेगटिव विचार से करते हैं, तो हम न सिर्फ खुद को बल्कि अपने आसपास की सभी
चीज़ों को हतोत्साहित कर रहे होते हैं. हमारा खुद पर से विश्वास कम हो जाता है. और ये तो इंसानी फितरत है, अगर
खुद पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं तो किसी अनजान शक्ति पर कैसे कर लें.
अगर हम
टेक्निकल भाषा में बात करें तो ये एकदम एक modulus ( |x|
) की तरह है, आप इसमें पॉजिटिव वैल्यू डालें या नेगेटिव
रिजल्ट हमेशा एक पॉजिटिव वैल्यू होगी. हमें नहीं पता वो कौन है लेकिन ख़ुशी हो या
गम हम उसे ही याद करते हैं. ये एक
ऐसा पैरामीटर है जिससे हम नेगेटिव एनर्जी और positve एनर्जी ...दोनों को explain करते हैं.
ये एक
ऐसी एनर्जी है जिससे हम सभी जुड़े हुए हैं. अगर हम किसी को दुःख में देखते हैं, भले ही उसे हम जानते हों या ना हो, हमें दुःख होता है. हम उम्मीद करते
हैं की काश उसके साथ ऐसा न हुआ होता. ये इस बात का एक बड़ा उदाहरण है की हमारे अन्दर कहीं न कहीं ये बात
केन्द्रित होती हैं की हम एक दुसरे से जुड़े हैं और एक दुसरे की खुशियों या दुखों
से प्रभावित होते हैं. ये प्रभाव ही
वो शक्ति है जिसे हम शब्दों में भगवान् कह देते हैं.
अगर हम Christianity की बात करें तो उनमे उसे GOD नाम से जाना जाता है..जो असल में तीन शब्द Generator , Operator और Destroyer. हिन्दू धर्म में भी हम उसे ब्रह्मा , विष्णु और महेष नाम नाम से जानते हैं... जिनका काम Generation, Operation और Destruction था. इसके बारे में आपको बताने की ज़रुरत नहीं लगती मुझे. मेरा बस एक ही पॉइंट है. अगर पृथ्वी के दो अलग अलग छोर पर अगर एक जैसे विचार को अगर महज एक संयोग भी मान लें, तो भी इनपर विश्वास ना करने का ठोस कारण हम नहीं दे सकते.
बड़ी बड़ी चीज़ों में उसे खोजते खोजते छोटी छोटी चीजों पर से हमारा ध्यान भटक गया है. साइंस में हमने पढ़ा है की पानी भले ही बड़े से बर्तन में हो या एक छोटे से चम्मच में, ना तो उसकी अहमियत कम होती है और ना ही उसके लिए हमारी प्राथमिकता. वैसे ही हमें भी छोटी चीजों में उसे भूलना नहीं चाहिए. बड़ी खुशियों की और भागते हुए छोटी खुशियों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए.

जैसा की मैंने पहले भी कहा है की मैं बहोत ही साधारण सा इंसान हूँ. मुझे तो वो बस एक छोटी सी हंसी में दिखता है. ठंढे से हवा के झोंको में. रंग बदलते पत्तों में. पके हुए फल में . काम से थक कर एक दोस्त से बात करने में. एक ' miss you, kamine' वाले मेसेज में, एक फोटो पर लड़ते हुए दोस्त में, रक्षाबंधन पर बहन की तरफ से आई राखी में, एक पुराने फोटो एल्बम के अचानक मिल जाने में, ट्रेन के सही समय पर पहुचाने में, मेट्रो में मशीन की तरह घुमते वक़्त किसी पुराने दोस्त के पीछे से कंधे पर हाथ रखने में, किसी को शुक्रिया कहने पर 'मर क्यूँ नहीं जाता' सुनने में, किसी सुबह आंख खुलने पर खुद को घर पर पाने में, सुबह सुबह unhygienic सी ब्रेड रोल खाने में, बारिश में नहाने में, पहले बर्थडे बम्प्स में, तुम्हारी पहली कमाई में, यहाँ तक की एक 3G कनेक्शन में भी .... मुझे उसे मानने या ना मानने की ज़रुरत नहीं. अगर वो है तो उसे इन सब के लिए बहोत बहोत धन्यवाद. और अगर वो नहीं है तो इनसब लम्हों को मेरी जिंदगी में आने और लाने के लिए आप सभी को धन्यवाद.
अगर हम Christianity की बात करें तो उनमे उसे GOD नाम से जाना जाता है..जो असल में तीन शब्द Generator , Operator और Destroyer. हिन्दू धर्म में भी हम उसे ब्रह्मा , विष्णु और महेष नाम नाम से जानते हैं... जिनका काम Generation, Operation और Destruction था. इसके बारे में आपको बताने की ज़रुरत नहीं लगती मुझे. मेरा बस एक ही पॉइंट है. अगर पृथ्वी के दो अलग अलग छोर पर अगर एक जैसे विचार को अगर महज एक संयोग भी मान लें, तो भी इनपर विश्वास ना करने का ठोस कारण हम नहीं दे सकते.
बड़ी बड़ी चीज़ों में उसे खोजते खोजते छोटी छोटी चीजों पर से हमारा ध्यान भटक गया है. साइंस में हमने पढ़ा है की पानी भले ही बड़े से बर्तन में हो या एक छोटे से चम्मच में, ना तो उसकी अहमियत कम होती है और ना ही उसके लिए हमारी प्राथमिकता. वैसे ही हमें भी छोटी चीजों में उसे भूलना नहीं चाहिए. बड़ी खुशियों की और भागते हुए छोटी खुशियों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए.

जैसा की मैंने पहले भी कहा है की मैं बहोत ही साधारण सा इंसान हूँ. मुझे तो वो बस एक छोटी सी हंसी में दिखता है. ठंढे से हवा के झोंको में. रंग बदलते पत्तों में. पके हुए फल में . काम से थक कर एक दोस्त से बात करने में. एक ' miss you, kamine' वाले मेसेज में, एक फोटो पर लड़ते हुए दोस्त में, रक्षाबंधन पर बहन की तरफ से आई राखी में, एक पुराने फोटो एल्बम के अचानक मिल जाने में, ट्रेन के सही समय पर पहुचाने में, मेट्रो में मशीन की तरह घुमते वक़्त किसी पुराने दोस्त के पीछे से कंधे पर हाथ रखने में, किसी को शुक्रिया कहने पर 'मर क्यूँ नहीं जाता' सुनने में, किसी सुबह आंख खुलने पर खुद को घर पर पाने में, सुबह सुबह unhygienic सी ब्रेड रोल खाने में, बारिश में नहाने में, पहले बर्थडे बम्प्स में, तुम्हारी पहली कमाई में, यहाँ तक की एक 3G कनेक्शन में भी .... मुझे उसे मानने या ना मानने की ज़रुरत नहीं. अगर वो है तो उसे इन सब के लिए बहोत बहोत धन्यवाद. और अगर वो नहीं है तो इनसब लम्हों को मेरी जिंदगी में आने और लाने के लिए आप सभी को धन्यवाद.
The last paragraph... :')
ReplyDeleteThe last paragraph... :')
ReplyDeleteBhai..really moving, true to every word written here, and specially the last paragraph..:) could relate to each nd every thing..great work! and its my personal belief that He is always looking out for you, for me, for all of us..and maintains a balance of highs and lows in our life..without demanding any fanaticism, just a little thank you in a day..:)
ReplyDeleteआपने इस विषय पे लिखा शायद ये भी भगवन की ही मर्ज़ी थी।
ReplyDelete;)
kahan se laate ho aap itta sahi description, about the "modulus", the GOD, and of course the last paragraph :D
ReplyDeletereally a little thing called 'faith' is all it needs !
and as far as the writing is concerned amazing is the word !! :)
Extremely awsumm :) espcly the modulus 1 nd d last paragraph.. (Y) (Y)
ReplyDeleteHow do you even gt dese ideas..
ReplyDeleteModulus n d last paragraph...are d highlights....u have this certain way with your expression...which emphasizes d simplicity yet the gravity of the idea ...
How do you even gt dese ideas..
ReplyDeleteModulus n d last paragraph...are d highlights....u have this certain way with your expression...which emphasizes d simplicity yet the gravity of the idea ...
Its always good to read you....
ReplyDeletetry reading rumi...
बड़ी खुशियों की और भागते हुए छोटी खुशियों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए.
ReplyDeletean extremely true line!!
Ashish bhai...really a great writer!!
shukriya bhaailog... ki pasand aya...bas bhaag raha tha usse..aur usi se takraya...tb pata chala ki duniya choti aur gol..dono h..
ReplyDeleteof course... the last paragraph is :-*.
ReplyDeleteAnd the humor of yours strikes again...fantastically written..and yes the last one really deserves an applause..!!!!
ReplyDeletei loved it... esp the last two lines... (y)
ReplyDeletend i must say ur selection of hindi wrds is awesome.. :)
keep doing the good wrk...
God is here or not i don't know but i faith it... whenever thing r gone i trusted any best thing will b prepare 4r me... n about last paragraph - its reality n its happen 2 all :)
ReplyDeletevery nicely composed....
ReplyDeletethough I have very little knowledge in Hindi, but enjoyed reading it
Well...whatever I wanted to say has already been said n written. Jst to add from my side, this blog has created a whole new thought process about the Almighty who is present and also not present at the same time.
ReplyDeleteKudos to you Ashish... u r a keen observer and a great writer as well!
Frankly speakng..I am not an avid reader..but if non-readers like us get this kinda stuff..it might change things.
Thanks for post..Loved it.. u keep writing n we'll keep reading...Cheers!!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBahut aacha likha hai, sab kuch aapas me ek dusare se connect ho rahi hai........kafi aacha hai :)
ReplyDeletemy mother read this article yesterday and even she is your fan now
ReplyDeletekeep it up!!
Worth reading..a better way to define god
ReplyDeleteWorth reading..a better way to define god
ReplyDelete+ve energy ka funda dat u've given i always follow.on readin dis get a new +ve energy.tmhare blogs ko read krke lagta h ki u write all dese which direclty link to people's mentality.u catch it frm dere.feel proud on u.:-)
ReplyDeleteBhai, m sorry ki meneaaj se pehle na pada,
ReplyDeletepata nai tha ki ye itta acha b ho sakta hai,
baaki sab ka pata nai, par miss u kamine :) ,
iss baat ko kehne me hi mujhe jo khushi mehsus ho rahi hai wo kisi modulas se kam nai hai