याद तो होगा आपको जब आपको बचपन में पांच रूपए दिए जाते थे की बेटा जा जाकर ऐश कर. तब आप सीना चौड़ा करके राजाओं की तरह घुमते थे. और आज आप स्यापा पा रहे हैं. भईया आपको हो क्या गया है. हमारे दिलो को भावविभोर करने वाले ये राजनेता हमसे कुछ गलत थोड़ी ही कह रहे हैं. पांच रूपए में जब आप बचपन में पूरा हफ्ता काट देते थे तो आज एक दिन भी नही काट सकते, कैसी बात करते हैं पाण्डेय जी.
अच्छा अच्छा रोइए मत. आपको एक खुफिया सरकारी दांव बताता हूं. हमारी कर्मठ सरकार ने प्लेटफोर्म टिकेट की कीमत भी तीन रूपए से बढ़ा कर पांच कर दिया है. अब भी नहीं समझे !!! बहुत ही मूरख हैं आप तो. हम ही बता देते हैं आपको. पांच रूपए का प्लेटफोर्म टिकेट लीजिए और स्टेशन पर जाकर भीख मांगिये. अरे ... संभालिए ज़रा ... कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे हैं की मेरा दिमाग तो नहीं खराब होगया है. इस तरह का काम कौन करता है भला. तो मालिक एक बात बता दूँ आपको. या तो आप अपनी इज्जत ही देख लीजिए या अपनी गरीबी ही. हमारे देश में गरीबी और इज्ज़त जैसे शब्द एक ही लाइन में कभी इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं. हमारे राजनेता इसी बात को अब खुले आम कह रहे हैं तो आपके सीने पर सांप क्यूँ रेंग रहा है. अब आप उन्हें ही ले लीजिए वो तो गरीब न होते हुए भी बेइज्जतदार लोग हैं. तो हम जो उन्हें चुनते हैं और हमपर राज करने देते हैं, उनके इज्ज़तदार होने की बात आप सोच भी कैसे सकते हैं?
और इन राजनेताओं को भी काफी वक्त तक समझ नहीं आया की ये लोग जिन्होंने आज तक इस बात पर सवाल नही उठाया की 250 रूपए में महीना चलाने वालों को BPL के नीचे रखा गया और 251 रूपए मिलते ही वो अमीरों की category में कैसे आगये, वो आज पांच रूपए के लिए बवाल कर रहे हैं. इसका जवाब ढूँढते ढूंढते हमारे महापुरुषों की सेना को एक बहोत ही बड़े धर्म का पता चला. क्रिकेट...जी हाँ ..चौंकिए मत... उन्होंने न सिर्फ धर्म की खोज की बल्कि इससे प्राप्त परम ज्ञान का इस्तेमाल भी बखूबी किया. उन्होंने ये notice किया की जब IPL के matches होते हैं तो लोगों को देश दुनिया से कोई मतलब नहीं होता. जब उत्तराखंड में बाढ़ जैसी भयावह प्राकृतिक आपदा आने पर लोग अपनी सीटों से नहीं उठे तो पडोसी के थाली में खाना आरहा है या नहीं उससे उन्हें क्या फर्क पड़ने वाला था. इसी खोज का पेहला धमाका था पांच रूपए. इतने innovative राजनेता आपको किसी और देश में मिलेंगे क्या?
और आपको पता भी है , इन बेचारे राजनेताओं को संसद और राज्य सभा में 2.50 रूपए मात्र में एक थाली खाने को मिलता है.और इसके बावजूद आपके लिए इन्होने पांच रूपए deadline रखा. इतने में तो आप खुद भी खाएंगे और गर्लफ्रेंड को भी खुश रखेंगे. ये प्यारे नेता दिलों के इतने साफ हैं .और आप हैं की बस बुराई करते रहते हैं.
चलिए मुझे थोड़ी सामजिक अपच होती जारही है सो मैं कुछ खाऊंगा तो नहीं लेकिन इस ऐतिहासिक पांच रूपए का इस्तेमाल मैं एयरटेल के पांच वीडियो देखने में ज़रूर करूँगा. आप भी सोचिए की इस अनमोल पांच रूपए से आप क्या क्या कर सकते हैं. मैं जरा टहल कर आता हूं.
अच्छा अच्छा रोइए मत. आपको एक खुफिया सरकारी दांव बताता हूं. हमारी कर्मठ सरकार ने प्लेटफोर्म टिकेट की कीमत भी तीन रूपए से बढ़ा कर पांच कर दिया है. अब भी नहीं समझे !!! बहुत ही मूरख हैं आप तो. हम ही बता देते हैं आपको. पांच रूपए का प्लेटफोर्म टिकेट लीजिए और स्टेशन पर जाकर भीख मांगिये. अरे ... संभालिए ज़रा ... कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे हैं की मेरा दिमाग तो नहीं खराब होगया है. इस तरह का काम कौन करता है भला. तो मालिक एक बात बता दूँ आपको. या तो आप अपनी इज्जत ही देख लीजिए या अपनी गरीबी ही. हमारे देश में गरीबी और इज्ज़त जैसे शब्द एक ही लाइन में कभी इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं. हमारे राजनेता इसी बात को अब खुले आम कह रहे हैं तो आपके सीने पर सांप क्यूँ रेंग रहा है. अब आप उन्हें ही ले लीजिए वो तो गरीब न होते हुए भी बेइज्जतदार लोग हैं. तो हम जो उन्हें चुनते हैं और हमपर राज करने देते हैं, उनके इज्ज़तदार होने की बात आप सोच भी कैसे सकते हैं?
और इन राजनेताओं को भी काफी वक्त तक समझ नहीं आया की ये लोग जिन्होंने आज तक इस बात पर सवाल नही उठाया की 250 रूपए में महीना चलाने वालों को BPL के नीचे रखा गया और 251 रूपए मिलते ही वो अमीरों की category में कैसे आगये, वो आज पांच रूपए के लिए बवाल कर रहे हैं. इसका जवाब ढूँढते ढूंढते हमारे महापुरुषों की सेना को एक बहोत ही बड़े धर्म का पता चला. क्रिकेट...जी हाँ ..चौंकिए मत... उन्होंने न सिर्फ धर्म की खोज की बल्कि इससे प्राप्त परम ज्ञान का इस्तेमाल भी बखूबी किया. उन्होंने ये notice किया की जब IPL के matches होते हैं तो लोगों को देश दुनिया से कोई मतलब नहीं होता. जब उत्तराखंड में बाढ़ जैसी भयावह प्राकृतिक आपदा आने पर लोग अपनी सीटों से नहीं उठे तो पडोसी के थाली में खाना आरहा है या नहीं उससे उन्हें क्या फर्क पड़ने वाला था. इसी खोज का पेहला धमाका था पांच रूपए. इतने innovative राजनेता आपको किसी और देश में मिलेंगे क्या?
और आपको पता भी है , इन बेचारे राजनेताओं को संसद और राज्य सभा में 2.50 रूपए मात्र में एक थाली खाने को मिलता है.और इसके बावजूद आपके लिए इन्होने पांच रूपए deadline रखा. इतने में तो आप खुद भी खाएंगे और गर्लफ्रेंड को भी खुश रखेंगे. ये प्यारे नेता दिलों के इतने साफ हैं .और आप हैं की बस बुराई करते रहते हैं.
चलिए मुझे थोड़ी सामजिक अपच होती जारही है सो मैं कुछ खाऊंगा तो नहीं लेकिन इस ऐतिहासिक पांच रूपए का इस्तेमाल मैं एयरटेल के पांच वीडियो देखने में ज़रूर करूँगा. आप भी सोचिए की इस अनमोल पांच रूपए से आप क्या क्या कर सकते हैं. मैं जरा टहल कर आता हूं.
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