Thursday, 14 November 2013
नयी फटी शर्ट
Tuesday, 5 November 2013
उफ्फ्फ...तुम्हारे Opinions !
अपूर्व को इंडिया पाकिस्तान के मैच के बाद इतना गाली देते हुए आज देख रहा हूँ। मैंने उसे कहा भी की भईया इतनी बड़ी बात भी क्या हो गई। कौन सी दुनिया उजड़ गई आपकी। एक जीन्स ही तो है जो दूकानदार ने खराब दे दी है। इतना क्या स्यापा पाना इसपर। उसने जिस तरह से मुझे देखा मुझे अन्दर से महसूस हुआ की अगर बन्दे को इस वक़्त एक straw मिल जाता तो वो पक्का मेरा खून ही पी जाता। और उस दिन लगभग सारे हॉस्टल को ये बात पता चल गई की Levi's की जीन्स अगर बुरी नहीं है तो अच्छी भी नहीं है। इस तरह से एक बन्दे के सिर्फ एक जीन्स पर एक छोटी सी opinion की वजह से , ये कुछ सौ लोगों के दिमाग में levi's store में कदम रखने से पहले एक बार घंटी तो ज़रूर बजेगी।
ये सिर्फ एक जीन्स की बात नहीं है। जिंदगी की हर छोटी चीज़ जो हमसे जुडी है हम उसपर जाने अनजाने एक opinion ज़रूर बनाते हैं। और न सिर्फ ये opinion बनाते हैं बल्कि अपने आसपास के लोगों के साथ अपने विचार और experiences भी बाँटते हैं।
हम dominoes गए। वहां का खाना अच्छा या बुरा। हम अपना opinion रखते हैं।
कोई नया mall खुला शहर में। पिछले वाले से उसका comparison । हम अपना opinion रखते हैं।
मैंने नया samsung फोन लिया। बहोत गर्म होजाता है। कुह अच्छे features भी हैं। हम अपना opinion रखते हैं।
एक नयी फिल्म देखी। गाने कुछ ज्यादा ही थे। हम अपना opinion रखते हैं।
इंसानों का एक basic और अनुवांशिक nature होता है opinion बनाना। और न सिर्फ बनाना बल्कि उसे दूसरों के सामने express करना। और ये शर्मिंदा होने की बात नहीं है। बल्कि ये तो प्रमाण है की आप इंसान हैं।
ये ही opinions जब एक समूह में लिए और बनाये जाते हैं तो ये trend का रूप ले लेती है और फिर ना ही सिर्फ social बल्कि commercial और economical रूप से वर्चस्व बनाये हुए organisations को भी अपने सबसे सूक्ष्म और बेसिक समूह के हित में काम करने को मजबूर कर देती है। और आपको जानकर थोडा आश्चर्य हो सकता है लेकिन ये सूक्ष्म और बेसिक समूह कोई और नहीं हम खुद हैं।
यही वजह है की आम लोगों के opinion बनाने से बहोत से "लोगों" को डर लगता है। ये वो लोग हैं जो market में पकड़ बना चुके होते हैं और व्यावहारिक स्तर पर profit कमाना ही जिनका उद्देश्य रह गया है। और अब इन्हें अपनी गिरती value की वजह से अपने सर्विस और कीमतों में सुधार लाना होगा जिससे अंत में फायदा उस सूक्ष्म समूह को ही होगा जो हमसे बनती है।
इसीलिए opinions या तो अच्छे हों या बुरे। मीठे हों या कडवे। आप उसपर ban या रोक नहीं लगा सकते। और अगर आप या कोई राजनितिक पार्टी ऐसा करने की कोशिश करते हैं तो दो ही बातें हो सकती हैं।
1) या तो आप उस निचले और सूक्ष्म स्तर, जो की हम आम आदमी हैं, की कोई चिंता नहीं करते।
2) या आप डर गए हैं।
इसलिए अपनी बात रखिये और इंसान होने का प्रमाण दीजिये। एक ऐसा इन्सान जो ना सिर्फ जगा है बल्कि चौकन्ना भी है। जो सिर्फ विचार बनाता नहीं बल्कि उसको व्यक्त करने का साहस और हुनर दोनों रखता है। ऐसा इंसान जो अपने पूर्वजों से एक कदम आगे रहा है। जो evolution की सीढ़ी में आगे जाने को तैयार है। हम और आप। फैसला कोई भी हो.. आप अपना opinion देंगे... और उसी का मुझे इंतज़ार भी रहेगा हमेशा की तरह।