Wing Up

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Sunday, 7 July 2013

नटवर.king


"अरे यार.. ट्रेन को भी आज ही लेट होना था?"

 कहीं आप चौंक तो नहीं गए की उस लाइन को जिसे भारत में बोलना ही illegal कर देना चाहिए वो मैं इतने धड़ल्ले से कैसे बोल रहा हूँ. या कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे की मैं अपने प्रिय जनो से मिलने के लिए इतना उत्साहित हूँ की ऐसी गुस्ताखी हो गई मुझसे. अरे!!! अगर आप कोई सुविचार बना रहें हों तो तनिक रुकीए जरा. बात कुछ ऐसी है की हमें कोई प्रियजनों की याद वाद नहीं आ रही इस वक़्त और न ही हमें कोई इमरजेंसी ही है.

बात तो ऐसी है की... एक मिनट. कहीं आप ढिंढोरा तो नहीं पीटने लगेंगे मेरी इस बात का. अजी पीट भी दें तो हमारी बला से. तो जनाब बात इतनी सी है की हमारे फ़ोन की बैटरी हो गई है ख़त्म और इसी वजह से हम अपनी सोशल नेटवर्किंग साईट इस्तेमाल ही नहीं कर पा रहे हैं. अब मैं मोतिहारी स्टेशन पर जब ट्रेन पहुंचेगी तो “enjoying tea in चुक्कड़ @motihari” कैसे लिख पाउँगा. वैसे चुक्कड़ को अंग्रेजी में कहते क्या है? चलिए छोडी, ये हमारा मुद्दा नहीं है. 
 हाँ हाँ मुझे पता है की आपको लग रहा होगा की मैं क्यूँ फालतू में इस छोटी सी बात पे स्यापा पाल रहा हूँ. लेकिन मालिक आपको नहीं पता की ये कितनी बड़ी दिक्कत है. इसे फील करने के लिए आपको भी सोशल नेटवर्किंग का चरसी होना पड़ेगा. ओफ्फो ..अरे चरसी मतलब वही बन्दा जिसे लत लग जाती है किसी चीज़ की तो जिन्दगी के साथ ही जाती है. जी हाँ वही चरसी. अब बताइए कर पाएंगे ऐसा. बड़ी मेहनत लगती है साहेब. हर जाने अनजाने इन्सान से जुड़े रहना, उसके लगभग हर हरकत पर नजर रखना. लगभग हर 8 या 8 से ज्यादा रेटिंग वाली photoes को लाइक करना. मूड अच्छा हो या बुरा हर सिचुएशन में बत्तीसी फाड़ कर स्माइल करना. ये कोई नौसिखुए के बस की बात थोड़े ही है. cool बने रहने के लिए अच्छी अच्छी फोटोएं डालनी पड़ती हैं, बड़ी बड़ी बातें करनी होती हैं. होते आप पूर्णिया में हैं और लोगों को convince करना पड़ता है की आप पेरिस से कम अच्छी जगह नहीं हैं.



आप middle aged लोगों को को दाल रोटी से फुर्सत मिले तब तो आप समझें ये बड़ी बड़ी बातें.चलिए छोडिये.



अच्छा आज पकड़ में आए हैं तो सुन ही लीजिये.. आपकी यही दिक्कत थी ना की आज की पीढ़ी में वो सामाजिक जुडाव नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था, तो हम आपको बता दें हम लगभग हर वक़्त अपने दोस्तों से फ़ोन और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिये जुड़े रहते हैं. हमें हर बात की खबर रहती है की आज किसने क्या खाया, क्या पढ़ा, कहाँ घूमा वागैरेह वगैरह. वो अलग बात है की हमें इतनी व्यस्तता है की हम उनकी इन गतिविधियों में खुद शरीक नहीं हो पाते हैं. 

यार...दोस्त ही इतने हैं नेटवर्किंग साइट्स पर की अगर एक के साथ वक़्त गुज़ारने में फसे रहे तो सैकड़ो से बनी बनाई थोड़ी बहोत hi hello भी कम हो जाएगा..और वैसे भी लाइक तो किया ना, लोग तो उतना भी नहीं करते .. हाँ नी तो.


और तो और कल पिताजी ने तो हद्द ही मचा दी. कहते हैं की जाओ घर से बहार निकलो
, खुली हवा का मज़ा लो, पुराने दोस्तों के संग घूम आओ, क्या दिन भर कंप्यूटर के आगे खिटिर पिटिर करते रहते हो.. अब आप बताइए ये भी कोई बात हुई. इस AC की ठंढक छोड़कर उस धुल भरे रोड पर कौन घूमने जाता है अब. और जब सभी दोस्त मेरे सामने यहाँ एक ही जगह मिल ही रहे हैं तो भला भगवान् की सृजन इस कीमती शरीर को जोखिम में क्यूँ डाला जाए.



और यहाँ कमी क्या है. मैं आए दिन देश में हो रही परेशानियों पर जी भर कर अपनी भड़ास निकलता हूँ. भईया, वो जमाना गया जब लोग घर बैठे सिर्फ क्रिकेट जैसे खेलों पर अपनी राय प्रकट किया करते थे. आज तो हम राजनीती ,कानून, गरीबी और धर्म जैसे 'खेलों' पर भी अपनी बेबीक टिप्पणीयां करने से पहले कुछ नहीं सोचते. मैं आपको एक ट्रिक बताता हूँ, वैसे मैं सभी को ऐसे ट्रिक्स नहीं बताता लेकिन आप थोड़े अपने लगे तो बता रहा हूँ.. ट्रिक बहोत ही आसान है



ज़नाब ...

चेतना  छोडिये  अपनी  सो  चुके  मस्तिष्क के हिस्से में... मेरा मतलब है अचेतन वाले हिस्से में बस ये बात डाल लीजिए की राजनीती है तो गन्दी ही होगी ,कानून है तो बेबस ही होगी, गरीबी है तो बेकारी ही होगा और धर्म है तो लाचारी ही होगी. लीजिए बहोत बड़ा मर्म बता दिया आज हमने आपको, अब आप भी बड़े आसानी से सोशल नेटवर्किंग पर सभी के चहेते बन सकते हैं.



वैसे आप कुछ फर्जी एकाउंट्स/लोगों  से बचियेगा ..वो ऐसी ही ज्वलनशील चर्चाओं में आएँगे और आपसे बे सर पैर के सवाल करेंगे की आपको अगर इतनी चिंता है देश की तो बाहर निकलो,  देश को सुधारिए वगैरह वगैरह... ऐसे लोगों को तुरंत ब्लाक कर दीजिएगा. अरे कारण क्या पूछ रहे हैं आप... इसमें हम आपके गुरु हैं जितना कहा है उतना करिए.



कुछ हल्की बातें करें, आपको शिक्षा देते देते मेरे सर में दर्द हो गया.



पता है कई बार मुझे लगता है की सोशल नेटवर्किंग साइट्स मंदिर, मश्जिद, गुरुद्वारों और चर्च से भी पाक हैं.. आपको हंसी आ सकती है. लेकिन एक बार इसपर लोगों को confess करते देखेंगे तब आपकी ये सोच बदल जाएगी... कितनी दिक्कतें हैं लोगों के पास...यहाँ अपनी परेशानियाँ लोगों से बांटने से बड़ी तसल्ली मिलती होगी उनकी आत्मा को...
मैं तो हर बार ऐसे लोगों के स्टेटस पर लाइक कर के ही मानता हूँ...और कई बार तो मेरे एक लाइक करने से ये भले सोशल नेटवर्किंग वाले ग़रीब बच्चों को पैसे भी बंटते हैं...नहीं जनाब झूठ नहीं बोलूँगा खुद पैसे देते हुए तो नहीं देखा है लेकिन बड़े लोग हैं तो झूठ थोड़े ना बोलेंगे.




कभी कभी तो मुझे उन छोटे शहरों पर तरस आता है जो सोशल नेटवर्किंग से अछूते हैं..वो बेचारे कहाँ अपनी परेशानियों का हल पाते होंगे ???..
“PARENTS”
ये किसने लिखा यहाँ ...भाई इतना जान लो की तुम
cool तो कत्तई नहीं हो...ज़रा सामने तो आओ... ब्लाक होने से पहले अपनी शकल तो दिखा जाओ..